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Question Numbers: 129-135
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
कभी एकान्त शान्त पलों में एकाग्रचित्त होकर आकाश की ओर निहारें तो हमें वहाँ प्रकृति का भण्डार मिलेगा। परन्तु हमारे पास इतना समय ही कहाँ है कि हम कुछ पल अपनी भौतिक इच्छाओं का दमन कर प्रकृति का आनन्द उठाने में व्यतीत कर सकें। आज विज्ञान की बढ़ती लोकप्रियता ने भी सम्भवतः हमें प्रकृति से कुछ दूर ही कर दिया है। आज हमारे मन में जो अशान्ति बढ़ रही है उसका मुख्य कारण ही यही है कि हम प्रकृति से परे हटते जा रहे हैं। कुण्ठाग्रस्त जीवन के लिए प्रकृति वरदान है। यदि हम तनावमुक्त जीवन जीना चाहते हैं तो हमें प्रकृति के समीपतम होना पड़ेगा। प्रकृति के अलौकिक आनन्द से वंचित रहने वाला व्यक्ति कभी भी तन और मन से स्वस्थ नहीं रह सकता। और नहीं तो कम-से-कम अपने अवकाश के क्षण तो प्रकृति के साहचर्य में व्यतीत करें, ताकि हमारा और प्रकृति का तादात्म्य संबंध शाश्वत बना रहे।
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
कभी एकान्त शान्त पलों में एकाग्रचित्त होकर आकाश की ओर निहारें तो हमें वहाँ प्रकृति का भण्डार मिलेगा। परन्तु हमारे पास इतना समय ही कहाँ है कि हम कुछ पल अपनी भौतिक इच्छाओं का दमन कर प्रकृति का आनन्द उठाने में व्यतीत कर सकें। आज विज्ञान की बढ़ती लोकप्रियता ने भी सम्भवतः हमें प्रकृति से कुछ दूर ही कर दिया है। आज हमारे मन में जो अशान्ति बढ़ रही है उसका मुख्य कारण ही यही है कि हम प्रकृति से परे हटते जा रहे हैं। कुण्ठाग्रस्त जीवन के लिए प्रकृति वरदान है। यदि हम तनावमुक्त जीवन जीना चाहते हैं तो हमें प्रकृति के समीपतम होना पड़ेगा। प्रकृति के अलौकिक आनन्द से वंचित रहने वाला व्यक्ति कभी भी तन और मन से स्वस्थ नहीं रह सकता। और नहीं तो कम-से-कम अपने अवकाश के क्षण तो प्रकृति के साहचर्य में व्यतीत करें, ताकि हमारा और प्रकृति का तादात्म्य संबंध शाश्वत बना रहे।
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