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Question Numbers: 121-128
निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।
निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।
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