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Question Numbers: 121-128
निर्देश - नीचे दिए गे गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए -
एक आदमी ने घृणा से एक तरफ थूकते हुए कहा, "क्या जमाना है! जवान लड़के को मरे पूरा दिन नहीं बीता और बूढ़ी औरत दुकान लगा के बैठी है।” दूसरे साहब अपनी दाढ़ी खुजाते हुए कह रहे थे, “अरे जैसी नीयत होती है अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है"I
सामने के फुटपाथ पर खड़े एक आदमी ने दियासलाई की तीली से कान खुजाते हुए कहा,” अरे इन लोगों का क्या है? ये लोग रोटी के टुकड़े पर जान देते हैं।” परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने कहा, “अरे भाई, उनके लिए मरे-जिए का कोई मतलब न हो, पर दूसरे के धर्म ईमान का तो ख्याल करना चाहिए। जवान बेटे के मरने पर तेरह दिन का सूतक होता है और वह यहाँ सड़क पर बाज़ार में आकर खरबूजे बेचने बैठ गई है। हज़ार आदमी आते-जाते हैं। कोई क्या जानता है कि इसके घर में सूतक है I कोई इसके खरबूजे खा ले, तो उसका ईमान-धर्म कैसे रहेगा? क्या अँधेर है!”
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता लगा उसका तेईस बरस का जवान लड़का था घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में कछियारी करने परिवार निर्वाह करता था। खरबूजों की डलिया बाज़ार में पहुँचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता, कभी माँ बैठ जाती।
लड़का परसों सुबह मुँह अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था। गीली मेंड़ की तरावट में विश्राम करते हुए एक साँप पर लड़के का पैर पड़ गया। साँप ने लड़के को डंस लिया।
लड़के की बुढ़िया माँ बावली होकर ओझा को बुला आई। झाड़ना-फूँकना हुआ। नागदेव की पूजा हुई।
निर्देश - नीचे दिए गे गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए -
एक आदमी ने घृणा से एक तरफ थूकते हुए कहा, "क्या जमाना है! जवान लड़के को मरे पूरा दिन नहीं बीता और बूढ़ी औरत दुकान लगा के बैठी है।” दूसरे साहब अपनी दाढ़ी खुजाते हुए कह रहे थे, “अरे जैसी नीयत होती है अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है"I
सामने के फुटपाथ पर खड़े एक आदमी ने दियासलाई की तीली से कान खुजाते हुए कहा,” अरे इन लोगों का क्या है? ये लोग रोटी के टुकड़े पर जान देते हैं।” परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने कहा, “अरे भाई, उनके लिए मरे-जिए का कोई मतलब न हो, पर दूसरे के धर्म ईमान का तो ख्याल करना चाहिए। जवान बेटे के मरने पर तेरह दिन का सूतक होता है और वह यहाँ सड़क पर बाज़ार में आकर खरबूजे बेचने बैठ गई है। हज़ार आदमी आते-जाते हैं। कोई क्या जानता है कि इसके घर में सूतक है I कोई इसके खरबूजे खा ले, तो उसका ईमान-धर्म कैसे रहेगा? क्या अँधेर है!”
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता लगा उसका तेईस बरस का जवान लड़का था घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में कछियारी करने परिवार निर्वाह करता था। खरबूजों की डलिया बाज़ार में पहुँचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता, कभी माँ बैठ जाती।
लड़का परसों सुबह मुँह अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था। गीली मेंड़ की तरावट में विश्राम करते हुए एक साँप पर लड़के का पैर पड़ गया। साँप ने लड़के को डंस लिया।
लड़के की बुढ़िया माँ बावली होकर ओझा को बुला आई। झाड़ना-फूँकना हुआ। नागदेव की पूजा हुई।
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