CTET Class I to V 2014 Sep Paper

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निर्देश (प्र.सं. 121 से 128):
नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए-

में दिखाना चाहती हूँ कि हम आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र के जरिए चीजों पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं करते, क्योंकि अब तो यही चलन बन गया है। हम आमतौर पर कहते हैं-अरे, सीखने का कितना खुशनुमा माहौल है और देखो, बच्चे कैसे-कैसे प्रयोग कर रहे हैं, वगैरह। मगर अब ये खुशनुमा ढंग से सीखना भी एक ढर्रा बन गया है, इसको बहुत बेजान बना दिया गया है। हम अकसर सोचते हैं कि बस कोई गतिविधि करना ही काफी है, भले ही वो बिल्कुल निर्थक हो, भले ही बच्चे उसके जरिए कुछ न सीख रहे हों। बस गतिविधियाँ करवाने की मारामारी मची हुई है। आज हमारे यहाँ यही हालात हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हमें इस बारे में एक नए सिरे से सोचना चाहिए। बेशक, गतिविधि का महत्व है मगर बच्चों को वो चीजें मत सिखाइए जो बाद में आनी है। मसलन, उन्हें नंबर लाइन सिखाकर उसके आधार पर टाइम लाइन की बात मत कीजिए। हर चीज को एक सन्दर्भ में कीजिए। इसकी वजह यह है कि बच्चे इसी तरह सीखते हैं। संख्याएँ संदर्भ से ही आती हैं। संख्या एक बहुत अमूर्त धारणा है। एक बच्चे के लिए 'दो' समझना अमूर्त बात है। वह कैसे समझेगा कि किसी चीज के 'दो' होने का क्या मतलब है?
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Question : 123
Total: 150
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