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Question Numbers: 121-128
निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
मित्रता संसार की सबसे बड़ी नियामत है। सच्चा मित्र कौन है? जो सदाचारी और विश्वासपात्र हो, जो आवश्यकता पड़ने पर मदद के लिए सदैव तत्पर रहे। दोषों को बताने से भी हिचकिचाए नहीं और गुणों का बखान करते समय गर्व का अनुभव करे। वास्तव में सच्चा मित्र तो वही है जो हमारी गलतियों को बताए और सुधार का मार्ग दिखाए। तुलसीदास जी ने भी कहा है कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र के दुःख से दुःखी हो, अपने बड़े से बड़े दुःख को धूल के कण के समान और मित्र के कण के समान दुःख को बड़ा दुःख समझे। मित्र को बुरे मार्ग से हटाकर अच्छे मार्ग पर चलाए, मित्र के गुण प्रकट करे और उसके अवगुणों को अपने तक सीमित रखे। विपत्ति के समय जो सौ गुणा स्नेह करे, लेन-देन में शंका न रखे और अपनी शक्ति के अनुसार सदा हित करता रहे। वास्तव में सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। धन रहने पर तो सभी मित्र बनाना चाहते हैं, पर गरीबी आने पर एक-एक करके सब कन्नी काटते हैं, पर सच्चा मित्र इससे ऊपर होता है।
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मित्रता संसार की सबसे बड़ी नियामत है। सच्चा मित्र कौन है? जो सदाचारी और विश्वासपात्र हो, जो आवश्यकता पड़ने पर मदद के लिए सदैव तत्पर रहे। दोषों को बताने से भी हिचकिचाए नहीं और गुणों का बखान करते समय गर्व का अनुभव करे। वास्तव में सच्चा मित्र तो वही है जो हमारी गलतियों को बताए और सुधार का मार्ग दिखाए। तुलसीदास जी ने भी कहा है कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र के दुःख से दुःखी हो, अपने बड़े से बड़े दुःख को धूल के कण के समान और मित्र के कण के समान दुःख को बड़ा दुःख समझे। मित्र को बुरे मार्ग से हटाकर अच्छे मार्ग पर चलाए, मित्र के गुण प्रकट करे और उसके अवगुणों को अपने तक सीमित रखे। विपत्ति के समय जो सौ गुणा स्नेह करे, लेन-देन में शंका न रखे और अपनी शक्ति के अनुसार सदा हित करता रहे। वास्तव में सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। धन रहने पर तो सभी मित्र बनाना चाहते हैं, पर गरीबी आने पर एक-एक करके सब कन्नी काटते हैं, पर सच्चा मित्र इससे ऊपर होता है।
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