Show Para
Question Numbers: 121-128
निर्देश- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
बेल वृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की ऊंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। एक वृक्ष की ऊँचाई 10 मीटर से लेकर 15 मीटर तक हो सकती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नयी पत्तियाँ आ जाती हैं। इसकी पत्तियाँ अंडाकार होती हैं तथा इनका बाहर वाला सिरा नुकीला होता है। ये एक छोटे से मोटे डंठल द्वारा शाखा से जुड़ी रहती हैं। बेल वृक्ष की शाखा के सिरे पर प्रायः तीन पत्तियाँ होती हैं। इनमें से बीच वाली पत्ती अपने पास की दोनों पत्तियों से बड़ी होती है तथा इसका डंठल लंबा होता है। बेल वृक्ष की परिपक्व पत्तियों का रंग पीलापन लिए हरा होता है। बेल वृक्ष का फूल इसकी शाखाओं पर खिलता है। इसका फूल मधुर सुगंध फैलाने वाला होता है। इसका फूल उभयलिंगी होता है, अर्थात प्रत्येक फूल में नर तथा मादा दोनों प्रजनन अंग होते हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं। बेल वृक्ष के विभिन्न अंगों, जड़, तना, तने की छाल, पत्तियाँ, फल, फूल, गोंद आदि का उपयोग विभिन्न प्रकार के सामान्य और जटिल रोगों की औषधियाँ तैयार करने में किया जाता है।
निर्देश- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
बेल वृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की ऊंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। एक वृक्ष की ऊँचाई 10 मीटर से लेकर 15 मीटर तक हो सकती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नयी पत्तियाँ आ जाती हैं। इसकी पत्तियाँ अंडाकार होती हैं तथा इनका बाहर वाला सिरा नुकीला होता है। ये एक छोटे से मोटे डंठल द्वारा शाखा से जुड़ी रहती हैं। बेल वृक्ष की शाखा के सिरे पर प्रायः तीन पत्तियाँ होती हैं। इनमें से बीच वाली पत्ती अपने पास की दोनों पत्तियों से बड़ी होती है तथा इसका डंठल लंबा होता है। बेल वृक्ष की परिपक्व पत्तियों का रंग पीलापन लिए हरा होता है। बेल वृक्ष का फूल इसकी शाखाओं पर खिलता है। इसका फूल मधुर सुगंध फैलाने वाला होता है। इसका फूल उभयलिंगी होता है, अर्थात प्रत्येक फूल में नर तथा मादा दोनों प्रजनन अंग होते हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं। बेल वृक्ष के विभिन्न अंगों, जड़, तना, तने की छाल, पत्तियाँ, फल, फूल, गोंद आदि का उपयोग विभिन्न प्रकार के सामान्य और जटिल रोगों की औषधियाँ तैयार करने में किया जाता है।
Go to Question: