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Question Numbers: 121-128
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए I
हमारा देश गणतंत्र व्यवस्था पर आधारित देश है I गणतंत्र की व्यवस्था योग्य और अनुशासित व्यक्तियों के द्वारा ही सुचारु रूप से चल सकती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अन्य संगठनों की भाँति गणतंत्र के संगठन के लिए भी सभी स्तरों पर अनुशासन आवश्यक हो। यदि अनुशासनहीनता का रोग कहीं फैल जाए तो उसका संक्रमण शीघ्र ही दूसरे स्तरों पर भी हो जाता है। अनुशासन भी संक्रामक होता है। अनुशासित व्यक्ति को देखकर अन्य लोग भी अनुशासन का पालन करते हैं I महात्मा गांधी तथा अनेक संत-महात्मा और राष्ट्रनायक बार-बार अनुशासन पर बल देते आए हैं I सामाजिक स्तर पर अनुशासन का अर्थ है कि हम स्वेच्छा से नियमों का पालन करते हुए सहयोग से काम करें - न दंड के भय से और न पुरस्कार के लोभ से।
अनुशासन एक जीवन-मूल्य है, जिसका पालन हमारे व्यवहार का अंग बन जाना चाहिएI
महापुरुषों के जीवन को हम पूर्ण रूप से अनुशासित पाते हैं। हमें भी इन महापुरुषों के पदचिन्हों का अनुसरण कर, अपने जीवन के हर कार्यक्षेत्र में अनुशासन-पालन का परिचय देना चाहिए।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए I
हमारा देश गणतंत्र व्यवस्था पर आधारित देश है I गणतंत्र की व्यवस्था योग्य और अनुशासित व्यक्तियों के द्वारा ही सुचारु रूप से चल सकती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अन्य संगठनों की भाँति गणतंत्र के संगठन के लिए भी सभी स्तरों पर अनुशासन आवश्यक हो। यदि अनुशासनहीनता का रोग कहीं फैल जाए तो उसका संक्रमण शीघ्र ही दूसरे स्तरों पर भी हो जाता है। अनुशासन भी संक्रामक होता है। अनुशासित व्यक्ति को देखकर अन्य लोग भी अनुशासन का पालन करते हैं I महात्मा गांधी तथा अनेक संत-महात्मा और राष्ट्रनायक बार-बार अनुशासन पर बल देते आए हैं I सामाजिक स्तर पर अनुशासन का अर्थ है कि हम स्वेच्छा से नियमों का पालन करते हुए सहयोग से काम करें - न दंड के भय से और न पुरस्कार के लोभ से।
अनुशासन एक जीवन-मूल्य है, जिसका पालन हमारे व्यवहार का अंग बन जाना चाहिएI
महापुरुषों के जीवन को हम पूर्ण रूप से अनुशासित पाते हैं। हमें भी इन महापुरुषों के पदचिन्हों का अनुसरण कर, अपने जीवन के हर कार्यक्षेत्र में अनुशासन-पालन का परिचय देना चाहिए।
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