CTET 2 Social and Science 1 Jan 2022 Paper

Show Para  Hide Para 
Question Numbers: 129-135
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
विद्यार्थी जीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार तथा आचरण को जैसा चाहे वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भांति है जिसे जिधर चाहे मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट सकती हैं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफ़ेद चादर पर एक बार जो रंग चढ़ गया सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीनकाल में ही विद्यार्थी जीवन के महत्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था में सुसंस्कार और सद्-वृत्तियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।
© examsnet.com
Question : 133
Total: 150
Go to Question: