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Question Numbers: 129-135
मनुष्य और प्रकृति के बीच प्राचीनकाल से ही गहरा संबंध रहा है। प्रकृति की गोंग में जन्म लेकर मानव ने सभ्यता का विकास किया है। प्रकृति की देन पेड़-पौधे और वनस्पतियां हमेशा से हमारे जीवन के लिए आवश्यक रहे हैं। असाध्य रोगों का प्रकृतिक जड़ी-बूटी से इलाज करने वाले बैद्य जीवक से जब उनके गुरू जी ने कोई ऐसी वनस्पति ढूँढने के लिए कहा जिसका कोई गुण न हो तो वे खाली हाथ लौट आए।
आज के प्रदूषण के युग में तो पेड़-पौधों की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। कई वृक्षों की छाल और जड़े अनेक प्रकार की दवाइयां बनाने के काम आती हैं। वृक्षों के महत्व को देखते हुए ही हमारे देश में प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह को भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। जब वृक्ष हमें फल, फूल, छाया, गोंद, कागज, लकड़ी तथा अन्य अनेक पदार्थ देते हैं तो हमें भी उनकी रक्षा में तत्पर रहना चाहिए। पेड़-पौधों की रक्षा में ही हमारी रक्षा है।
मनुष्य और प्रकृति के बीच प्राचीनकाल से ही गहरा संबंध रहा है। प्रकृति की गोंग में जन्म लेकर मानव ने सभ्यता का विकास किया है। प्रकृति की देन पेड़-पौधे और वनस्पतियां हमेशा से हमारे जीवन के लिए आवश्यक रहे हैं। असाध्य रोगों का प्रकृतिक जड़ी-बूटी से इलाज करने वाले बैद्य जीवक से जब उनके गुरू जी ने कोई ऐसी वनस्पति ढूँढने के लिए कहा जिसका कोई गुण न हो तो वे खाली हाथ लौट आए।
आज के प्रदूषण के युग में तो पेड़-पौधों की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। कई वृक्षों की छाल और जड़े अनेक प्रकार की दवाइयां बनाने के काम आती हैं। वृक्षों के महत्व को देखते हुए ही हमारे देश में प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह को भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। जब वृक्ष हमें फल, फूल, छाया, गोंद, कागज, लकड़ी तथा अन्य अनेक पदार्थ देते हैं तो हमें भी उनकी रक्षा में तत्पर रहना चाहिए। पेड़-पौधों की रक्षा में ही हमारी रक्षा है।
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