पृथ्वी के वायुमण्ड़ल में समताप मण्डल की निचली परत में पृथ्वी से 16 से 32 किमी. की ऊँचाई पर ओजोन परत विद्यमान है , जो मनुष्यों को और पृथ्वी पर जीवित सभी जीवों को सूर्य, से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है। यह पृथ्वी का रक्षा कवच कहलाती है। परन्तु औद्योगिक क्रांति के बाद से हानिकारक गैसों का वायुमण्डल में सांद्रण बढ़ता जा रहा है, इन्हीं हानिकारक गैसों में क्लोरो- फ्लोरोकार्बन (CFC) या हाइड्रो- फ्लोरोकार्बन (HFC's) या अन्य क्लोरीन व ब्रोमीन से निर्मित गैसे, ओजोन (O3) से क्रिया कर स्थायी गैस (OC12OF2) बना लेती है जिसके कारण ओजोन की मोटाई या सांद्रण कम होता जा रहा है, इसी प्रक्रिया/घटना को ओजोन छिद्र कहते हैं। ओजोन छिद्र सामान्यतः ध्रुवों ( मुख्यत: दक्षिणी ध्रुव ) पर ज्यादा निर्मित होते हैं।