जीवाश्म ईंधन- कई कल्पों से पृथ्वी की अवसादी चट्टानों में दबकर, अत्यधिक ताप एवं दाब के कारण, पृथ्वी के पुरातन जीवों का जीवाश्म इंधन के रूप में रूपांतरण हो जाता है। जब केवल पादप जगत में यह क्रिया होती है तो कोयला या ठोस ईंधन बनता है परन्तु अगर यही क्रिया पादपों के साथ-साथ जीवों ( समुद्री या सतही जीव जैसे- मछली, डायनोसोर आदि के साथ होती है, तो द्रव के साथ-साथ गैसीय ईंधन (जीवाश्म) प्राप्त होते हैं, जैसे-पेट्रोल, क्रुड तेल, प्राकृतिक गैस आदि। औद्योगिक क्राति के बाद से जीवाश्म ईंधन हमारे प्राथमिक ऊर्जा स्रोत बने हुए हैं जबकि लकड़ी कोई जीवाश्म ईंधन नहीं है। नोट- जीवाश्म = जीव + अवशेष + कल्प ( युग )