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Question Numbers: 81-85
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
हिमालय इस देश की जगद्धात्री शक्ति का पिता है, इसलिए इस देश का कुलगुरु है। ज्ञान, योग और तप के प्रतिमान विश्व को ऐश्वर्य जिस शक्ति के कारण मिलना है, वह शक्ति हिमालय की दुहिता है। पार्थिव शक्ति का ही दूसरा पर्याय है-पार्वती और उस पार्वती से अविभक्त होकर शिव इस देश के जीवन दर्शन के साक्षात् प्रतीक बन गए हैं। यह जीवन दर्शन न केवल देवताओं के सेनानी कुमार को जन्म देता है बल्कि समस्त विद्याओं, कलाओं और संस्कृति की विभिन्न परंपराओं को भी जन्म देता है, भारतीय संस्कृति अखण्ड जीवन में विश्वास रखती है। उसमें विरोध नहीं है। उसमें गजाजिन भी दुकूल है, भस्म भी चन्दन बन जाता है। हिमालय का स्मरण भारत की इस समग्र दृष्टि का स्मरण है क्योंकि यह दृष्टि हिमालय के वात्सल्य से उभरी हुई दृष्टि है। भारतीय साहित्य में गंभीरता के लिए समुद्र और धैर्य के लिए हिमवान, उपमान के रूप में बारबार दोहरायें गए हैं।
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
हिमालय इस देश की जगद्धात्री शक्ति का पिता है, इसलिए इस देश का कुलगुरु है। ज्ञान, योग और तप के प्रतिमान विश्व को ऐश्वर्य जिस शक्ति के कारण मिलना है, वह शक्ति हिमालय की दुहिता है। पार्थिव शक्ति का ही दूसरा पर्याय है-पार्वती और उस पार्वती से अविभक्त होकर शिव इस देश के जीवन दर्शन के साक्षात् प्रतीक बन गए हैं। यह जीवन दर्शन न केवल देवताओं के सेनानी कुमार को जन्म देता है बल्कि समस्त विद्याओं, कलाओं और संस्कृति की विभिन्न परंपराओं को भी जन्म देता है, भारतीय संस्कृति अखण्ड जीवन में विश्वास रखती है। उसमें विरोध नहीं है। उसमें गजाजिन भी दुकूल है, भस्म भी चन्दन बन जाता है। हिमालय का स्मरण भारत की इस समग्र दृष्टि का स्मरण है क्योंकि यह दृष्टि हिमालय के वात्सल्य से उभरी हुई दृष्टि है। भारतीय साहित्य में गंभीरता के लिए समुद्र और धैर्य के लिए हिमवान, उपमान के रूप में बारबार दोहरायें गए हैं।
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