UPSSSC PET 29 Oct 2023 Shift 2 Paper
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Question Numbers: 31-35
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
मेरे एक मित्र हैं, बड़े विद्वान, स्पष्टवादी और नीतिमान । वह इस राज्य के बहुत प्रतिष्ठित नागरिक हैं। उनसे मिलने से सदा नयी स्फूर्ति मिलती है । यद्यपि वह अवस्था में मुझसे छोटे हैं, तथापि मुझे सदा सम्मान देते हैं। इस देश में यह एक अच्छी बात है कि सब प्रकार से हीन होकर भी यदि कोई उम्र में बड़ा हो, तो थोड़ा-सा आदर पा ही जाता है। मैं भी पा जाता हूँ। मेरे इस मित्र की शिकायत थी कि देश की दुर्दशा देखते हुये भी मैं कुछ कह नहीं रहा हूँ, अर्थात् इस दुर्दशा के लिये जो लोग जिम्मेदार हैं उनकी भर्त्सना नहीं कर रहा हूँ। यह एक भयंकर अपराध है। कौरवों की सभा में भीष्म ने द्रौपदी का भयंकर अपमान देखकर भी जिस प्रकार मौन धारण किया था, वैसे ही कुछ मैं और मेरे जैसे कुछ अन्य साहित्यकार चुप्पी साधे हैं। भविष्य इसे उसी तरह क्षमा नहीं करेगा जिस प्रकार भीष्म पितामह को क्षमा नहीं किया गया। मैं थोड़ी देर तक अभिभूत होकर सुनता रहा और मन में पापबोध का भी अहसास हुआ। सोचता रहा, कुछ करना चाहिये, नहीं तो भविष्य क्षमा नहीं करेगा । वर्तमान ही कौन क्षमा कर रहा है ? काफी देर तक मैं परेशान रहा-चुप रहना ठीक नहीं है, कम्बख्त भविष्य कभी माफ नहीं करेगा। उसकी सीमा भी तो कोई नहीं है । पाँच हजार वर्ष बीत गये और अब तक बेचारे भीष्म पितामह को क्षमा नहीं किया गया । भविष्य विकट असहिष्णु है । काफी देर बाद भ्रम दूर हुआ। मैं भीष्म नहीं हूँ। अगर हिन्दी में लिखनेवाला कोई भीष्म हो जाता हो, तो भी मुझे कौन पूछता है ? बहुत ज्ञानी-गुणी भरे पड़े हैं। मुझसे अवस्था में, ज्ञान में, प्रतिभा में बहुत आगे। मुझे कोई डर नहीं है। 'भविष्य' नामक महादुरन्त अज्ञात मुझे किसी गिनती में लेने वाला नहीं है। डरना हो तो वे ही लोग डरें, जिनकी गिनती हो सकती है। तुम क्यों घबराते हो, मनसाराम, तुम तो न तीन में, न तेरह बड़ी राहत मिली इस यथार्थबोध से ।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
मेरे एक मित्र हैं, बड़े विद्वान, स्पष्टवादी और नीतिमान । वह इस राज्य के बहुत प्रतिष्ठित नागरिक हैं। उनसे मिलने से सदा नयी स्फूर्ति मिलती है । यद्यपि वह अवस्था में मुझसे छोटे हैं, तथापि मुझे सदा सम्मान देते हैं। इस देश में यह एक अच्छी बात है कि सब प्रकार से हीन होकर भी यदि कोई उम्र में बड़ा हो, तो थोड़ा-सा आदर पा ही जाता है। मैं भी पा जाता हूँ। मेरे इस मित्र की शिकायत थी कि देश की दुर्दशा देखते हुये भी मैं कुछ कह नहीं रहा हूँ, अर्थात् इस दुर्दशा के लिये जो लोग जिम्मेदार हैं उनकी भर्त्सना नहीं कर रहा हूँ। यह एक भयंकर अपराध है। कौरवों की सभा में भीष्म ने द्रौपदी का भयंकर अपमान देखकर भी जिस प्रकार मौन धारण किया था, वैसे ही कुछ मैं और मेरे जैसे कुछ अन्य साहित्यकार चुप्पी साधे हैं। भविष्य इसे उसी तरह क्षमा नहीं करेगा जिस प्रकार भीष्म पितामह को क्षमा नहीं किया गया। मैं थोड़ी देर तक अभिभूत होकर सुनता रहा और मन में पापबोध का भी अहसास हुआ। सोचता रहा, कुछ करना चाहिये, नहीं तो भविष्य क्षमा नहीं करेगा । वर्तमान ही कौन क्षमा कर रहा है ? काफी देर तक मैं परेशान रहा-चुप रहना ठीक नहीं है, कम्बख्त भविष्य कभी माफ नहीं करेगा। उसकी सीमा भी तो कोई नहीं है । पाँच हजार वर्ष बीत गये और अब तक बेचारे भीष्म पितामह को क्षमा नहीं किया गया । भविष्य विकट असहिष्णु है । काफी देर बाद भ्रम दूर हुआ। मैं भीष्म नहीं हूँ। अगर हिन्दी में लिखनेवाला कोई भीष्म हो जाता हो, तो भी मुझे कौन पूछता है ? बहुत ज्ञानी-गुणी भरे पड़े हैं। मुझसे अवस्था में, ज्ञान में, प्रतिभा में बहुत आगे। मुझे कोई डर नहीं है। 'भविष्य' नामक महादुरन्त अज्ञात मुझे किसी गिनती में लेने वाला नहीं है। डरना हो तो वे ही लोग डरें, जिनकी गिनती हो सकती है। तुम क्यों घबराते हो, मनसाराम, तुम तो न तीन में, न तेरह बड़ी राहत मिली इस यथार्थबोध से ।
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Question : 31
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