UPSSSC PET 24 Aug 2021 Shift 2 Paper
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Question Numbers: 71-75
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर चुनिए:
स्वतंत्रता संग्राम मनुष्य में उत्तम और स्पृहणीय विशेषताएँ पैदा करता है और भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम भी इसका अपवाद नहीं है। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में यह युद्ध बिना किसी ईर्ष्या-द्वेष तथा खून-खराबे के लड़ा गया था। गाँधीजी इसे सत्याग्रह कहते थे। इसके पीछे उनकी शिक्षा, धार्मिक आस्था तथा अन्य उपलब्धियों का उतना हाथ नहीं था जितना उनके सदाचरण और व्यवहार का। इस स्वातंत्र्य आंदोलन को स्मरण रखने का मुख्य कारण यह है कि यह जनतांत्रिक था अर्थात् इसमें देश के हर वर्ग और जाति के लोग सम्मिलित थे, चाहे बे धनी हों या गरीब, नर हों या नारी हों अथवा विभिन्न संप्रदायों के। इसके साथ ही यह एक धर्मनिरपेक्ष और स्वतंत्रता कर्मियों का संघर्षशील राष्ट्रीय आंदोलन था। स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में हम आज जनतांत्रिकता और धर्म-निरपेक्षता का लाभ उठा रहे हैं। हम सोच नहीं सकते कि इतने बड़े देश में अपना शासन करने के लिए हम अपना प्रतिनिधि नहीं चुन सकते थे या कोई गंदा कानून लागू कर दिया जाता तो हम उसके विरुद्ध आवाज नहीं उठा सकते थे और हम अपनी राय स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त नहीं कर सकते थे।
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर चुनिए:
स्वतंत्रता संग्राम मनुष्य में उत्तम और स्पृहणीय विशेषताएँ पैदा करता है और भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम भी इसका अपवाद नहीं है। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में यह युद्ध बिना किसी ईर्ष्या-द्वेष तथा खून-खराबे के लड़ा गया था। गाँधीजी इसे सत्याग्रह कहते थे। इसके पीछे उनकी शिक्षा, धार्मिक आस्था तथा अन्य उपलब्धियों का उतना हाथ नहीं था जितना उनके सदाचरण और व्यवहार का। इस स्वातंत्र्य आंदोलन को स्मरण रखने का मुख्य कारण यह है कि यह जनतांत्रिक था अर्थात् इसमें देश के हर वर्ग और जाति के लोग सम्मिलित थे, चाहे बे धनी हों या गरीब, नर हों या नारी हों अथवा विभिन्न संप्रदायों के। इसके साथ ही यह एक धर्मनिरपेक्ष और स्वतंत्रता कर्मियों का संघर्षशील राष्ट्रीय आंदोलन था। स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में हम आज जनतांत्रिकता और धर्म-निरपेक्षता का लाभ उठा रहे हैं। हम सोच नहीं सकते कि इतने बड़े देश में अपना शासन करने के लिए हम अपना प्रतिनिधि नहीं चुन सकते थे या कोई गंदा कानून लागू कर दिया जाता तो हम उसके विरुद्ध आवाज नहीं उठा सकते थे और हम अपनी राय स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त नहीं कर सकते थे।
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