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Question Numbers: 17-19
अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर चुनिए:
"प्राचीन काल में जनक महाराज विदेह में राज करते थे। मिथिला, विदेह की राजधानी थी। मिथिला नगरी में राजमहल के आस-पास कोई एक हजार सन्यासियों की पर्णकुटियाँ थीं। मिथिला के सिंहासन बैठने के बावजूद जनक को फकीरी का शौक था। कहा जाता है कि महाराज जनक ज्ञानी थे। वे इस तरह राज-काज चलाते थे, मानो स्वयं परमात्मा के विनयशील सेवक हैं। सुबह से शाम तक सारे राज प्रबंध करते, शत्रुओं का पता करते, अपराधी को दण्ड देते, लोक-कल्याण के उपाय करते और इतना सब कुछ करने पर भी वे किसी सांसारिक कार्य में लिप्त नहीं होते थे। इसलिये लोग उनको विदेह जनक कहते थे।"
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"प्राचीन काल में जनक महाराज विदेह में राज करते थे। मिथिला, विदेह की राजधानी थी। मिथिला नगरी में राजमहल के आस-पास कोई एक हजार सन्यासियों की पर्णकुटियाँ थीं। मिथिला के सिंहासन बैठने के बावजूद जनक को फकीरी का शौक था। कहा जाता है कि महाराज जनक ज्ञानी थे। वे इस तरह राज-काज चलाते थे, मानो स्वयं परमात्मा के विनयशील सेवक हैं। सुबह से शाम तक सारे राज प्रबंध करते, शत्रुओं का पता करते, अपराधी को दण्ड देते, लोक-कल्याण के उपाय करते और इतना सब कुछ करने पर भी वे किसी सांसारिक कार्य में लिप्त नहीं होते थे। इसलिये लोग उनको विदेह जनक कहते थे।"
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Question : 18
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