विकास की प्रक्रिया एक जटिल व निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया होती है। यह जन्म से मृत्यु तक चलती रहती है। यह विकास की प्रक्रिया अनियमित रूप से नहीं बल्कि धीरे-धीरे क्रमबद्ध व निश्चित समय पर होती है। धीरे-धीरे उसका लम्बाई, भार क्रियात्मक क्रियाएँ प्रत्यक्षीकरण सामाजिक समायोजन आदि का विकास होता है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने विकास के मुख्य दस नियमों की चर्चा की है, जो निम्नांकित हैं: (i) विकास में परिवर्तन होता है। (ii) प्रारंभिक विकास परवर्ती विकास से अधिक महत्वपूर्ण होता है। (iii) विकास परिपक्वता तथा सीखने की उपज है। (iv) विकासात्मक पैटर्न पूर्वानुमेय होता है। (v) विकासात्मक पैटर्न में पूर्वानुमेय गुण होते हैं। (vi) विकास में वैयक्तिक विभिन्नता होती है। (vii) विकासात्मक पैटर्न में भिन्न-भिन्न अवस्थाएँ होती हैं। (viii) प्रत्येक विकासात्मक अवस्था में कुछ सामाजिक प्रत्याशाएँ होती हैं। (ix) विकास के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ अंतनिर्हित कठिनाई होती है। (x) विकास की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में सुख-शांति एकसमान नहीं होते हैं।