Show Para
Question Numbers: 143-150
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही। सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
तरह-तरह के बदलाव हुए मशीनों के आने से। हमारी पीढ़ी ने तो मशीनों को इंसान से कंप्यूटर के हवाले होते देखा है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है। आग की खोज ने जिंदगी बदली तो पहिये के आविष्कार ने सभ्यताओं को जन्म दिया। अभी चैट जी.पी.टी. और बॉर्ड जैसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता/आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या ए.आई. आधारित प्लैटफॉर्म आए हैं तो हाहाकार मच रहा है। समझना इतना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और ह्यूमन इंटेलिजेंस के बीच का सबसे बड़ा फर्क मानवता का है। ए.आई. आने वाले वक्त में जो भी करने वाला है, वह आज के इंसान की सोच का प्रतिबिंब ही होगा।
ऐसी आशंकाएँ कि वाइट कॉलर जॉब यानी इंजीनियर, आई.ए.एस., डॉक्टर, वकील, डिज़ाइनर और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स की दुनिया सिमटने वाली है। स्कूल, कॉलेज, एग्ज़ाम, पर्चे, कोचिंग, अस्पताल, लैब और तकनीक से जुड़े हर तबके पर असर पड़ने वाला है। दुनिया भर में करीब तीस करोड़ लोगों की जॉब इससे प्रभावित होने वाली है। चैट जी.पी.टी. और इस जैसे दूसरे ए.आई. प्लैटफॉर्म की खासियत यह है कि आपके हर सवाल का जवाब ये सेकंड्स में दे सकते हैं। युवा विद्यार्थियों ने पढ़ाई में ए.आई. की मदद लेनी शुरू कर दी है। भविष्य की चिंताओं से जुड़े सबसे बड़े सवाल यहीं से पैदा होते नज़र आ रहे हैं। आखिर मेधा और मेधावियों को तय करने वाले इम्तेहान अब कैसे होंगे ? क्या शिक्षकों का ज्ञान ए.आई. का मुकाबला कर पाएगा ?
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सही। सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
तरह-तरह के बदलाव हुए मशीनों के आने से। हमारी पीढ़ी ने तो मशीनों को इंसान से कंप्यूटर के हवाले होते देखा है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है। आग की खोज ने जिंदगी बदली तो पहिये के आविष्कार ने सभ्यताओं को जन्म दिया। अभी चैट जी.पी.टी. और बॉर्ड जैसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता/आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या ए.आई. आधारित प्लैटफॉर्म आए हैं तो हाहाकार मच रहा है। समझना इतना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और ह्यूमन इंटेलिजेंस के बीच का सबसे बड़ा फर्क मानवता का है। ए.आई. आने वाले वक्त में जो भी करने वाला है, वह आज के इंसान की सोच का प्रतिबिंब ही होगा।
ऐसी आशंकाएँ कि वाइट कॉलर जॉब यानी इंजीनियर, आई.ए.एस., डॉक्टर, वकील, डिज़ाइनर और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स की दुनिया सिमटने वाली है। स्कूल, कॉलेज, एग्ज़ाम, पर्चे, कोचिंग, अस्पताल, लैब और तकनीक से जुड़े हर तबके पर असर पड़ने वाला है। दुनिया भर में करीब तीस करोड़ लोगों की जॉब इससे प्रभावित होने वाली है। चैट जी.पी.टी. और इस जैसे दूसरे ए.आई. प्लैटफॉर्म की खासियत यह है कि आपके हर सवाल का जवाब ये सेकंड्स में दे सकते हैं। युवा विद्यार्थियों ने पढ़ाई में ए.आई. की मदद लेनी शुरू कर दी है। भविष्य की चिंताओं से जुड़े सबसे बड़े सवाल यहीं से पैदा होते नज़र आ रहे हैं। आखिर मेधा और मेधावियों को तय करने वाले इम्तेहान अब कैसे होंगे ? क्या शिक्षकों का ज्ञान ए.आई. का मुकाबला कर पाएगा ?
Go to Question: